क्या किसी भी गज़ल का बहर में होना जरूरी है ? भाग नंबर-१ - Hindi Tips
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क्या किसी भी गज़ल का बहर में होना जरूरी है ? भाग नंबर-१

क्या किसी भी गज़ल का बहर में होना जरूरी है ? भाग नंबर-१

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     गज़ल क्या होती है ? मेरे ख्याल से शायद किसी को ये बताने की जरूरत नहीं | जो लोग पढ़े लिखें है वो अपने स्कूल के समय से गज़ल शब्द से वाकिफ होते हैं व कालेज पहुँचने तक बहुत से स्कूल में पढ़ने वाले विधार्थी गज़ल लिखना शुरू भी कर देते हैं | इसकी जानकारी हिंदी व पंजाबी के अपनी मनपसंद विषय रखने वाले विधार्थीओं के लिए (+2, BA व MA के विधार्थीओं )के लिए भी जानकारी होना महत्वपूर्ण है | गज़ल लिखना क्या कठिन है ? ये एक अहसास है मन के भावों को कागज़ पर उकेरित करने का | बहुत से नवयुवक से लेकर पुराने धुरंधर लेखक भी गज़ल लिखते हैं | लेकिन ! यदि किसी ये कहा जाए खासकर नवयुवा गज़ल लेखक से कि क्या आपने अपनी गज़ल को बहर में लिखा है तो उस नवयुवा लेखक के चेहरे पर ? प्रशन चिन्ह जैसे भाव बन जाते हैं | यहाँ पर इस तरह की बात कहना किसी का मज़ाक उड़ाने के लिए नहीं है बल्कि मेरा आशय ये है कि यदि आप गज़ल के अर्थपूर्ण अंदाज़ में उसकी प्रस्तुति करना चाहते हैं तो आपका आपकी गज़ल का बहर में होना जरूरी है | बहर क्या होती है, कैसी होती है, कोई शे’र बहर में है या नहीं है –ये सब ऐसे प्रश्न हैं जिनके उत्तर ग़ज़ल लिखने वाले अधिकांश नए लोग ढूंढते रह जाते हैं लेकिन उनके हाथ कुछ नहीं आता। यदि आप भी चाहते हैं कि आप का नाम भी उसी तरह से मशहूर कवि, लेखकों की फेहरिस्त में शामिल हो तो और भी जरूरी हो जाता है कि आप द्वारा लिखी गई गज़ल बहर में हो |
इसी विषय पर ललित कुमार जी ने मई-2011 को एक लेख ग़ज़ल से जुड़ा एक नया शब्द: ग़नुक लिखा था व गज़ल के बहर में होना, पर विस्तार से चर्चा की थी व इस लेख में अपने विचार पेश किये थे कि यदि कोई गज़ल के गंभीर प्रारूप को नहीं सीखना चाहता या इस की गहराई में नहीं जाना चाहता वो अपनी तुकबंदी को, अपने मन के भावों को, या कुछ शे'रों के समूह को ग़नुक नाम दे सकते हैं | उन्होंने जब इस लेख को लिखा था तब तक तो टिप्स हिंदी में ब्लॉग पर इस तरह का कोई लेख प्रकाशित ही नहीं होता था | लेकिन उन के ये शब्द जो मेरे में घर कर गए कि इस बहर पर भी एक लेख विस्तार से लिखा जाना चाहिये | क्योकि मैं ठहरा एक नया ब्लॉगर, उस पर तुरुप का इक्का कि सिर्फ टैक्नीक पर लिखने वाला तो भला बहर पर लेख कैसे लिख पाता | लेकिन ! मन में ये भावना भी घर कर गई कि इस बहर पर के लेख तो जरूर लिखा जाना चाहिए | लेकिन ये ख्याल हवा हो गए | तीन से चार महीने यूं ही बीत गए |

     ग़ज़ल लिखना कोई आसान काम नहीं है। इसके लिए प्रतिभा के अलावा काफ़ी अभ्यास की ज़रूरत होती है। कई लोग तो इस विधा के सबसे आसान नियमों, जैसे कि मतला, मक़्ता, रदीफ़ काफ़िया इत्यादि तक को भी नहीं समझ पाते। इन नियमों का पालन करना भी अभ्यास से ही आता है। इस सबके बावज़ूद किसी भी तरह की तुकबन्दी करने वाले लोगों के बीच ग़ज़ल का प्रारूप काफ़ी लोकप्रिय है। आपको सस्ते शे’र हर जगह मिल जाते हैं जो मात्र तुकबंदी पर आधारित होते हैं। (इस पैराग्राफ के ये पंक्तियाँ ललित कुमार जी की उसी पोस्ट से ज्यों के त्यों ली गई हैं )

     इसके इलावा जो लेखक अपनी शायरी को गंभीरता से लेते है या मनन करते है वो इन बहर के नियमों का पालन जरूर करते हैं | यदि आप सिर्फ टाईमपास शायरी (गज़ल) लिखना चाहते हैं तो उसके लिए बहर को जानना जरूरी नहीं | लेकिन जो इस गंभीरता से लेना चाहते हैं उनके लिए बहर का ज्ञान होना जरूरी है |

     अब बहुत से लोगों (नवागुन्तक लेखक ) के मन में ये जानने के जिज्ञासा तो जरूर होगी की ये आखिर बहर है क्या ? बहर आम भाषा में गज़ल को मापने का एक मीटर होता है जिसमें एक शे'र के दो पंक्तियों के बीच में यानि कि पहली व दूसरी पंक्ति में प्रयुक्त शब्दों में मात्राओं का प्रयोग बराबर मात्रा में हो को कहा जाता है | इसे कुछ इस तरह से भी समझा जा सकता है कि जैसे किसी भी फिल्म में किसी भी गाने को एक लय के साथ गाया जाता है तो उस गाने को गाने से पहले एक लय में लिखा जाता है तभी तो उस गाने एक लय में गाया जा सकता है | यदि शब्द के लय में न हों तो क्या कोई भी गाना अपनी लय पकड़ पायेगा | मेरे इस ख्याल से सभी सहमत होंगे | इसी तरह से गज़ल को एक लय में प्रस्तुत करने के लिए बहर शब्द का प्रयोग होता है |

     फिर एक दिन मेरे करीबी पंजाबी के नामवर शायर श्री दियाल सिंह जी प्यासा से मुलाकात हुई तो मन में छुपा वही जिन्न बाहर निकल आया | मैंने अपने विचारों से उन्हें अवगत करवाया कि मैं बहर पर एक लेख लिखना चाहता हूँ व मुझे आपकी सहायता चाहिए वो भी पूरे विस्तार से इस लेख को लिखने के लिए | मुझसे करीबी रिश्ता होने के कारण उन्होंने इस विषय पर विस्तार से जानकारी देने की स्वीकृति दे दी | उनकी स्वीकृति के पश्चात् भी काफी समय गुज़र गया यदि उनके पास समय होता तो मेरे पास समय का आभाव होता | मेरे पास समय होता तो उनके पास समय का अभाव होता | लेकिन फिर भी इस लेख को लिखने की चाहत आखिर रंग ले ही आई | उनसे आखिरकार रविवार ३ दिसंबर २०११ को एक घंटा मुलाकात हुई व उस मुलाकात में बहुत कुछ जानने को मौका मिला | उनसे हुई मुलाकात में बहर विषय पर चर्चा शुरू हुई तो उन्होंने ने मुझे इस विषय पर विस्तार से जानकारी सभी पाठकों तक उपलब्ध करवाने की इच्छा जाहिर की | जो जाना आपके लिए पेश है |

     बहर को समझने के लिए इस विषय पर मेरे ख्याल से सबसे पहले छंदशाश्तर की जानकारी पाना सभी के लिए फायदेमंद साबित होगा |

सबसे पहले ये जानना जरूरी है कि :- पिंगल क्या होता है ?

     जो ये नहीं जानते उनके लिए ये जान लेना जरूरी है कि सभी भाषाओँ की जननी संस्कृत भाषा में पिंगल नाम के एक ऋषि हुआ करते थे | इन्होने ही कविताओं में छंदशाश्तर का ज्ञान दिया | कविताओं में छंदशाश्तर के प्रयोग को पिंगल ऋषि के नाम पर ही पिंगल कहा जाने लगा | हिंदी में इसे छंदशाश्तर, उर्दू में इसे अरूज़ कहा जाता है व अंग्रेजी में इसे Prosody कहा जाता है |

पिंगल बोलीयां

1. मात्रा        2. गुरु   :     3. लघु   :    4. वर्ण
5. तुकांग      6. तुकांत     7. काफ़िया      8. रदीफ़

     जो व्यक्ति बहर के बारे में जानना चाहते हैं उनके लिए इन उपरोक्त आठ शब्दों का गहन ज्ञान होना जरूरी है | इनके क्या मतलब हैं इनके बारे में जाने बिना बहर के बारे में ज्ञान (जानकारी) पाने की कल्पना भी नहीं की जा सकती | आइये सबसे पहले इन शब्दों के अर्थ जानने की कोशिश करते हैं |

1. मात्रा : मन के भावों को प्रकट करने के लिए हम कुछ शब्दों का प्रयोग करते हैं | शब्दों से ही वाक्य बनते हैं | अलग-अलग भाषाओँ के लिए अलग-अलग शब्दों कर प्रयोग किया जाता हैं | इस को लिपि कहते हैं | जैसे हिंदी संस्कृत के लिए देवनागरी व पंजाबी के लिय गुरुमुखी लिपि का प्रयोग किया जाता हैं | हर उस शब्द का जब उच्चारण किया जाता है तो उस शब्द के उच्चारण में कुछ समय लगता है | इस समय को संगीत की जुबां में मात्रा कहा जाता है | मात्राएं दो प्रकार की होती हैं | लघु गुरु | सभी शब्दों को लघु कहा जाता है |

2. लघु : जिस शब्द के उच्चारण में कम समय लगे उसे एक आवाज (एक मात्रा) की रूप में जाना जाता है या ये भी समझ सकते हैं कि श्रवण किया जा सकता है | इस को प्रकट करने के लिए अंग्रेजी के "I" शब्द का प्रयोग किया जाता है |

3. गुरु : जिस शब्द के उच्चारण में दोगुणा समय लगे उसे गुरु कहते हैं | इस गुरु शब्द को समझने के लिए अंग्रेजी के S शब्द का प्रयोग किया जाता है | इसे दो बार गिना जाता है एक बार S का मतलब है दो मात्राएँ | जैसे सा अक्षर में एक स की मात्रा है और स के साथ आ की मात्रा है इस प्रकार सा अक्षर में दो मात्राओं को गिना जाता है |

इन उपरोक्त दोनों शब्दों को समझने के लिए हम एक उदाहरण का प्रयोग करते हैं जैसे :-
फासला

फा ला
S I S
21 2=5


उपरोक्त शब्द में आप देखेंगे कि से की मात्रा का प्रयोग हुआ है |
इसी प्रकार से I की व ला से भी की मात्रा का प्रयोग हुआ हुआ है |
तो इसे इस प्रकार से समझने का प्रयत्न करेंगे SIS आपने देखा कि इस फासला शब्द में एक S फिर I फिर S का प्रयोग हुआ है | जैसा कि नंबर एक पर गुरु के लिए उच्चारण में दोगुने समय का प्रयोग हुआ है लिखा है | इस प्रकार तीन SIS (2+1+2) का मतलब हुआ 5 मात्राओं का प्रयोग हुआ |

यहाँ पर ये जान लेना नितांत आवश्यक है कि मात्राओं को गिनने के लिए छोटी इ की मात्रा, की मात्रा व बिंदी की मात्रा को इसमें नहीं गिना जाता |

इसे निम्न उदाहरण से स्पष्ट करने की चेष्टा की है | कृपया ध्यान दें निम्न पंजाबी में लिखी गई पंक्तिओं में मात्राओं को समझने के लिए इन को ध्यान से पढ़ें :-

रास गुणा दी सांभ के, बन जा ऊह इन्सान |
जिसदे निघे प्यार नूं, लोचे सरब जहान ||

अब आप देखें कि इन पंक्तिओं में कैसे गुरु व लघु का इस्तेमाल हुआ है | इसे आप निम्न टेबल में देख सकते हैं

रासगुणां दीसांभके,बनजाऊह इन्सान |
SIISSSISIISIIIISI
2+11+222+121+121+11+1+2+113+11=24
जिसदेनिघेप्यारनूं,लोचेसरबजहान ||
IISISISISSSIIIISI
1+1+21+21+2+122+21+1+11+2+113+11=24

चर्चा यूँ ही जारी रहेगी : शेष अगले भाग में >>>

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16 Reviews:

  1. नागपाल जी,..
    आपने गजल लिखने वालों के लिए बहुत सुंदर जानकारी दी,बधाई अच्छी कोशिश...

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  2. ग़ज़ल लिखने पर यह जानकारी अत्यंत महत्त्वपूर्ण रहेगी ।
    आभार ।

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  3. बहुत ही अच्छी जानकारी है ... जारी रखिये ...

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  4. bahut achchi va mahatva poorn jaankari di hai aapne.

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  5. नागपाल जी ,
    बहुत बढिया,और गज़ल प्रेमियों के लिए लाभदायक जानकारी ...
    कृपया इसपे कहना ज़ारी रखें...
    शुक्रिया!

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  6. बहुत उपयोगी और विषद जानकारी..आभार

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  7. बहुत अच्‍छी जानकारी दी आपने। शुक्रि‍या।

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  8. बहुत अच्‍छी जानकारी दी आपने। शुक्रि‍या।

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  9. धीरेन्द्र जी, डॉ. टी.एस.दराल जी, दिगम्बर नासवा जी, डॉ. रूपचन्द्र शाश्त्री मयंक जी, राजेश कुमारी जी, पी.सी.गोदियाल "परचेत" जी, अशोक सलूजा जी, कैलाश सी. शर्मा जी,रशिम जी, आप सभी का दिल से धन्यवाद | इस उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए | शीघ्र ही अगले भाग में छंद शास्त्र पर जानकारी उपलब्ध करवाई जायेगी | छान्द्शास्तर का ज्ञान बहर के बारे में जानकारी पाने में बहुत मददगार साबित होगा |

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  10. namaskaar bahut bdhiya jankaarii gajal ke baare me aage bhii bataate rhe.

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  11. बहुत पसन्द आया सर जी।
    बहुत दिनों से इस तरह के किसी आलेख की खोज में था। इतनी सहज-सरल भाषा में आपने समझाया है कि एक-एक बात समझ में आ गई।
    अगले अंक के बेसब्री से प्रतीक्षा है।

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  12. bahut achha sir ji apne hamre man ki bat likhi hai hamne apki ki gajal padne se bahut labh mila very good sir ji sir ji ias kushi me aap mera ek chhota sa kam kar dijiye hame koi converter de dijiye jisase galti na ho hum purvi tufan news se bol raha hu hum apka prachar bahut jyada karunga aur vijyapan bhi apkan net se lekar nikalunga aap hame koi mangal to kruti dev converter de dijiye aap me gmail id par load kar dijiye Rohitedsharma@gmail.com thanku sir.

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  13. रोहित शर्मा जी,

    आपको यूनिकोड से (मंगल) कृतिदेव व क्रित्देव से यूनिकोड कनवर्टर के लिंक भेजे जा रहे हैं :-
    http://tipshindimein.googlecode.com/files/krutidev010-to-Unicode%20converter.htm

    http://tipshindimein.googlecode.com/files/Unicode-to-krutidev010%20converter.htm

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  14. Resp. Sir,one correction with your permission. It is not `presody` But `prosody`. congrats 4 this Very Nice Article. Thanks.

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    1. शुक्रिया सर, ध्यान दिलाने के लिए | दुरुस्ती कर दी गई है |

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